An unknown beloved, who doesn't know, I know her......
अपने बेचैनियों की सुबह तलाशता हूँ,
कभी कभी इसकी वज़ह तलाशता हूँ.
आंसू हटाकर अपने मन से,
धड़कन में छुपी कम्पन तलाशता हूँ.
गाने को तो कोई धुन न मिलता,
होठों से यूँ ही चिपके हर्फ़ फेंका,
लोगों ने कहा ग़ज़ल बन गए.
मैं अभी धुंध में खोया ही था,
उन्होंने आके लिपटा दी बाँहें अपनी,
हर अश्क ओस के जल बन गए..
नाकामयाब इश्क की फतह तलाशता हूँ,
जन्हा हो हम वो एक साथ वो जगह तलाशता हूँ.
अपने यादों के हर कफ़न से,
मौत जो ना मिलती मुझे बेवज़ह तलाशता हूँ...
झूठी जिंदगानी की हर बिसात मैंने ही बिछायी थी,
सूखे बादलों में पहली बरसात मैंने ही लायी थी.
चलकर हम करीब जा सकते थे,
पर पैरों में जंजीर एक रात मैंने ही बनायीं थी...
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