Youthon
Sunday, December 5, 2010
Drowsy Yawn...
उन्ही को खबर नहीं,
उनके आँसू से ही अपनी आँख धोयी है..
सारी रात सिरहाने में था,
सपना बनके सोया मैं,
उन्हें इस की खबर नहीं,
वो तो चला आया मैं आधी रात में,
जानने बाद की वो किसी और के लिए रोई हैं.
चाहत थी मेरी,
किसी और की वफ़ा बन गए,
बीमारी थी मेरी,
किसी और की दवा बन गए.
सजदा थी मेरी,
किसी और की दुआ बन गए.
मेरी ही छुपी जुर्म,
मुझी को सजा बन गए,
चल हुआ ये गीत पुराना सा,
हमने तो कुछ पागलपन की है,
पहले तो सपने में जाता था,
आज कल हमने खुदको उनके ही घर में बंद की है.
हाँ मैं लटकता तस्वीर हूँ,
जिसे हर साल वो फूल चढ़ाती है,
फिर अपने प्यार की मौत
के आँसू सभी को दिखाती हैं,
पागल लोग तो चले जाते हैं,
मैं तो दिवार पर ही लटकता हूँ,
फिर से मरने का जी करता,
जब अपने कातिल संग तुझे,
इसी घर में लेटे देखता हूँ..
देवेश झा
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