मैं गया एक दिन बादलों के पीछे,
जहाँ मुझे मेरी मरी प्रेमिका मिली,
मैंने पूछा गयी थी क्या करने कार के नीचे,
जो तुझे बेदर्दी से किसी ने कुचली..
वो रूठ कर भागने लगी, मैंने कलाई पकड़ा,
तब उसने सच्चाई बताई थोडा थोडा..
उसने कहा, एक दिन मैं कही थी
तुझे बुलाने पर पर "आई देवेश",
यमराज घूम रहा था बदलकर भेष,
उसने आज इंग्लिश समझा,
"आई देवेश" का मतलब "मैं देवेश" समझा..
उसने तेरी मौत के बदले मेरी जान ले बैठा,
अपनी गलती पर वो पछताया,
मेरी जान लौटा, तेरी जान लेने की बात बताया..
मैंने झूठ बोला मैं देवेश ही हूँ,
कम से कम तेरे मौत को तो मैं जी रही हूँ..
हाँ ये बात किसीको मत बताना,
क्यूँकि तेरे आँखों में रहता है मेरा आना जाना.
देवेश झा
लेखन के मार्फ़त नव सृजन के लिये बढ़ाई और शुभकामनाएँ!
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आलेख-"संगठित जनता की एकजुट ताकत
के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी!"
का अंश.........."या तो हम अत्याचारियों के जुल्म और मनमानी को सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय-सरकारी कर्मचारी, अफसर तथा आम लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की ढाल बन जायें।"
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