तपने दो आंसू मेरी,
तुम अपने आँखों की धूप में.
साँसों को जरा छूकर देखो,
ठंडे होठों के लुक-छुप में.
पलकों के किनारें जो काजल,
सुन सुन क्या कहती है,
बिना छनकती तेरी पायल,
ओह! कहने से डरती है..
चल छोड़ जुल्फों का कहना,
बिन हवा के उड़ उड़ कहती कुछ ना...
फिर थम के मेरा नाम तू लेना,
अब प्यार नहीं मुझसे ज़रा कहो,
मिट जाएगी लकीर तेरी, ऐसा मत करना..
देवेश झा
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