Youthon

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Sunday, November 28, 2010

Mere Kuchh Lafzz!!!



मेरे कुछ लफ्ज़ फंसे है तेरे होठों में,
चुपके से इन्हें  मेरे लबों पर रख दो...
आंसू बन जाये ना बर्फ पलकों में,

इससे पहले आ अब तुम इसे चख दो..

चुप रे पागल हवा क्यूँ सर्दी करता है,
तुम कुछ बोलकर ज़रा चुप हो जाओ..
ये और रात का भींगा ओस बस मनमर्जी करता है,
छूकर इन्हें तुम मुझसे लिपट फिर छुप जाओ..

बुझता हुआ चाँद क्या शर्माएगा,
ढीठ बड़ा रात अपने संग बिताएगा..
तुम हंसकर इसे इशारा कर दो,
कमबख्त! धरती पर गिर जायेगा..
देवेश झा

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